जैसा की हम सब देख रहे है कि  गत कुछ दशकों से मजारों को मंदिरों की भांति महिमामंडित करने का जोरदार अभियान देश में चल रहा है।  इनके उर्सों पे प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक भाग ले रहे हैं। इनको धार्मिक भेदभाव से

ऊपर सच्चा मानवतावादी बताया जा रहा है। हालांकि इनकी दरगाहों पे जाने वाले 80% पथभ्रष्ट हिन्दू ही
होते हैं। आज आपको ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के बारे में बताते हैं। सिरत अल क़ुतुब के अनुसार इसने 7 लाख हिन्दुवों को अपने जीवनकाल में मुस्लमान बनाया था। मजलिस सूफिया नामक ग्रंथ के अनुसार जब वह मक्का हज करने गया तो उसे ये निर्देश दिया गया की वो हिंदुस्तान जाये और वहां पर कुफ्र के अंधकार को दूर करके वहां इस्लाम का राज स्थापित करे।
मारकत इसरार नमक ग्रंथ के अनुसार इसने तीसरी शादी एक हिन्दू लड़की को जनरन धर्मान्तरित करके
की थी वो बेचारी बेबस किशोरी एक हिन्दू राजा की पुत्री थी जिसे वह उसके पिता को हराकर
जबरन उठा लाया था। इस बेचारी का नाम चिश्ती ने उम्मत अल्लाह रखा इससे हुयी पुत्री का नाम
हफिजा जमाल रखा जिसकी मजार चिश्ती की ही दरगाह में मौजूद है।

तारिख ए औलिया के मुताबिक ख्वाजा ने अजमेर नरेश पृथ्वीराज चौहान को मुस्लमान बनने की
दावत दी। चौहान के इंकार करने पर ख्वाजा ने कहा ये इस्लाम पर इमान नहीं लाता मैं इसे लश्करे
इस्लाम के हवाले जिंदा गिरफ्तार करवा दूंगा। चिश्ती ने मोहम्मद गौरी को भारत पे आक्रमण करने
को बुलाया। 

पृथ्वीराज चौहान ने 16 बार गौरी को युद्ध में हराया और हर बार गौरी कुरान की कसम खा के पैरों में पड़ जाता और पृथ्वी उसे क्षमा कर देते पर 17वें युद्ध में वो जयचंद की गद्दारी के कारन पृथ्वी पराजित हुए। गौरी उन्हें बंदी बना ले गया।

हलाकि हिंदू गौरव पृथ्वी ने गौरी को अपने शब्दभेदी बाण से मार गिराया। पृथ्वी के बाद चिश्ती ने अजमेर के सारे
मंदिर तुड़वा दिए और उनके मलबे से एक मस्जिद बनवाई जिसका नाम है ढाई दिन का झोपड़ा।

सवाल ये है की यदि चिश्ती वाकई सब धर्मों को एक मानता था तो उसने 7 लाख हिंदुओं को जबरन
मुसलमान क्यों बनाया...?
क्या ये मानवता है की एक किशोरी का जबरन धर्मपरिवर्तन करा के उससे बलात निकाह
किया जाये...?

उसने गौरी को हिन्दू मंदिरों को तोड़ने को क्यों प्रेरित किया...? ये प्रश्न ऐसे हैं जिस पे हमे गंभीरता से
विचार करने योग्य है । क्या अब भी  ऐसी दरगाह पे जाना चाहेंगे आप ..?

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