वैसे तो हमारा देश भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है जिसमे सभी धर्मो के लोगो को अपने इच्छा से अपने धर्म को मानने की आजादी है बता दे आपको अब ऐसा नहीं है। धर्मनिरपेक्ष संविधान कहलाए जानेवाले हिन्दुस्थानमें कर्नाटक राज्य के बेंगलुरु की‘साऊथ एशिया इंस्टिट्यूट अॅडव्हान्स्ड क्रिस्चियन स्टडिज’ नामक शिक्षा संस्था ईसाई धर्म का प्रचार और धर्मान्तरण सम्बन्धी सीधे पाठ्यक्रम ही चला रही है । यह केवल एक प्रातिनिधिक उदाहरण है । देश में अनेक स्थानों पर इस प्रकार की ईसाई शिक्षा संस्थाओं के माध्यमों से छिपकर अथवा बल पूर्वक धर्मान्तरण की घटनाएं तीव्र गति पर है । ईसाई संस्थाओं द्वारा आरम्भ किया गया यह धर्म बदलवाने की प्रक्रिया अत्यन्त गम्भीर है । अतः ‘साऊथ एशिया इंस्टिट्यूट अॅडव्हान्स्ड क्रिस्चियन स्टडिज’ जैसी शिक्षा संस्थाओं द्वारा होने वाला धर्मान्तरण रोकने के लिए ऐसी संस्थाएं तत्काल बन्द कर उनपर कठोर कानूनी कार्यवाही की जनि चाहिए जो लोगो को बल पूर्वक उनके धर्म बदलने पर मजबूर कर रही है। साथ ही ईसाई नव वर्ष के निमित्त ३१ दिसम्बर की रात में होनेवाली अनुचित घटनाएं रोकने के लिए प्रशासन ठोस कदम उठानी चाहिए , इन मांगों के लिए सुबह ११ से १ बजे जंतर मंतरपर राष्ट्रीय हिन्दू आन्दोलन किया गया ।
ऐसी सभी घटनाओं का अर्थ है - भारत शासन की आंखों में धूल झोंक कर शिक्षा के नामपर धर्मान्तरण का उद्योग दिन दहाडे ऊंचे सिर से करने का प्रयत्न । ‘साऊथ एशिया इंस्टिट्यूट अॅडव्हान्स्ड क्रिस्चियन स्टडिज’ जैसी संस्थाओं के कारण इस देश की अखण्डता और एकता संकट में आ रही है । धर्मान्तरण की इन समस्याओं के कारण सामाजिक तथा कानून-सुव्यवस्था का प्रश्न भी उत्पन्न हो सकता है । वर्तमान में पाश्चात्य प्रथाओं के बढते अन्धानुकरण के कारण हमारे देश में भी नववर्ष नवसंवत्सरकी अपेक्षा ३१ दिसम्बरकी मध्यरात्रि १२ बजे मनाने की प्रथा बढती जा रही है । इस रात में युवकोंद्वारा मद्यपान तथा नशीले पदार्थोंका सेवन करना बढता जा रहा है । इससे लडकियोंकी छेडछाड होकर कानून एवं सुव्यवस्था के सन्दर्भ में गम्भीर स्थति उत्पन्न हो रही है । पाश्चात्त्य विकृतिका अन्धानुकरण करने से भारतीय संस्कृति का हो रहा अध:पतन रोकना, हम सभीका आद्यकर्तव्य है ।
अतः इस सन्दर्भमें हमारी राय कुछ इस प्रकार हैं....
१. धर्मान्तरण को बढावा देनेवाली संस्थाएं ढूंढने के लिए एक स्वतन्त्र विभाग निर्माण कर उसके द्वारा त्वरित कार्यवाही की जाए ।
२. भारतमें इस प्रकार की शिक्षा संस्थाओं को मान्यता मिलना एक गम्भीर बात है । ऐसी संस्थाओंको मान्यता देनेवाले,आर्थिक सहायता करने वाले सभी सम्बाqन्धत शासकीय कार्यालयोंपर भी कठोर संवैधानिक कार्यवाही की जाए ।
३. बल पूर्वक धर्मान्तरण कराने वाली ऐसी संस्थाओं को अर्पण राशि देनेवाली विदेशी संस्थाओं पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए ।
४. शासन की ओर से रात में मदिरालय खुले रखने की छुट निरस्त की जाए । साथ ही अबकारी कर विभागको अधिक मद्यबिक्री करनेका लक्ष्य न दिया जाए ।
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