राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति
11 जनवरी 2015, नई दिल्ली । हिंदुस्थान तथा हिंदू धर्मपर विगत
अनेक शताब्दियोंसे अन्यधर्मियोंके धार्मिक आक्रमण हो रहे हैं । आज भी इन लोगोंके
वारिस यही ध्येय रखकर हिंदुस्थानमें नियोजनबद्धरूपसे कार्यरत हैं । भारत स्वतंत्र
होने के पश्चात ईसाई मिशनरियोंने हिन्दुओंको प्रलोभन देकर, शाला, चिकित्सालय,
अनाथालय, आदि द्वारा समाजसेवाका ढोंग कर हिन्दुओंका धर्म परिवर्तन
करनेका मिशन जारी रखा । एक अनुमानके अनुसार प्रतिवर्ष लगभग साडे तीन लाख
हिन्दुओंको मुसलमान बनाया जाता है, जबकि साडे चार
लाख हिन्दुओंको ईसाई बनाया जाता है, इसीलिए कुल ८ लाख हिन्दुओंका धर्मांतरण होता है । हाल ही में क्रिसमसके समय
बिहारके मुख्यमंत्री जीतनराम मांझीके गया जिलेके ४०० हिन्दुओंको धर्मांतरित कर
ईसाई बनानेकी घटना उजागर हुई है । वहीं उत्तरप्रदेशके कमलपुरी गांवके ७०
ग्रामीणोंने हिन्दू धर्म छोडकर ईसाई पंथ स्वीकार किया । इस कारण आर्थिक प्रलोभन
तथा अन्य मार्गोंसे होनेवाला हिन्दुओंके धर्मांतरणको रोकने हेतु
धर्मांतरण-प्रतिबंधक कठोर कानून बनाया जाए, इस मांगके साथ नई दिल्लीके जंतर मंतरपर सुबह ११ से १ बजे
हिंदु जनजागृति समिति, सनातन संस्था,
वैदिक उपासना पीठ,
अखिल भारतीय हिंदु युवक
सभा और अन्य हिंदुत्त्ववादी संगठनों द्वारा राष्ट्रीय हिन्दू आन्दोलन किया गया ।
वर्ष २०११ में केंद्रीय गृह मंत्रालयकी रिपोर्टके अनुसार पिछले
दशकोंमें विदेशी संगठनोंसे ११ सहस्र २५० करोड रुपए की धनराशि ईसाई संगठनोंको
प्राप्त हुई है । स्वतंत्रताके पूर्व जो हिन्दू बहुल थे, वे नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर जैसे
राज्य अब ईसाई बहुल बन गए हैं । आज मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा,
अरुणाचल प्रदेशके कुछ भागोंमें राष्ट्रविरोधी
भावनाएं जागृत हो रही हैं । यह देशकी अखंडताके लिए अत्यंत खतरनाक है । केरलमें भी
हिन्दुओंकी संख्या तेजीसे अल्प हो रही है । हिन्दुओंका धर्मांतरण करनेके
उद्देश्यसे अहिन्दुओंद्वारा ‘प्रार्थना सभा’
‘आशीर्वाद सभा’ जैसे कार्यक्रम विविध स्थानोंपर आयोजित किए जा रहे हैं ।
ऐसे कार्यक्रमोंमें प्रलोभन दिखाकर अथवा बलपूर्वक हिन्दुओंका धर्मांतर किया जाता
है । आज इसे रोकनेके लिए कोई सक्षम कानूनी प्रावधान न होनेके कारण उसके विरोधमें
कुछ नहीं किया जा सकता । अतएव इसके विरोधमें कठोर कानून ही आवश्यक है । इस समय
अन्य विषयपर भी आंदोलन किया गया जो इस प्रकार है –
* तेलंगाना तथा
पंजाब शासन ‘ईसाई भवन’
बनानेका निर्णय तत्काल
निरस्त करे ! - भारतके
राजनीतिक दल अल्पसंख्यकोंके मत पानेके लिए उनके लिए अवैधानिकरूपसे विविध घोषणाएं
और योजनाएं बना रहे हैं । इनमें अल्पसंख्यकोंको अनाधिकृत आरक्षण देनेसे लेकर
मुसलमानोंको हज हाऊस, विदेशकी हज
यात्राके लिए विविध सुविधाएं, ईसाइयोंके लिए
ईसाई भवन बनाए जा रहे हैं । इस देशमें हिन्दू बहुसंख्यक हैं, तब भी शासन उनके लिए किसी भी प्रकारकी सुविधाएं
उपलब्ध नहीं करवाती । तेलंगाना और पंजाब शासनने ‘ईसाई भवन’ बनानेका निर्णय
केवल मतोंके लिए तुष्टिकरण करने हेतु ही लिया है । इससे हिन्दुओंके मनमें यह भावना
बढ रही है कि देशमें हमारे साथ पक्षपात किया जा रहा है अथवा हमारे साथ निम्न
स्तरका व्यवहार किया जा रहा है, जिससे समाजमें फूट
पड रही है । इसे रोकनेके लिए तेलंगाना और पंजाब शासन ‘ईसाई भवन’ बनानेका निर्णय तत्काल निरस्त करे तथा विशिष्ट समाजके
मतोंके लिए संविधान-विरोधी विशेष योजनाएं अथवा सुविधाएं न दे पाएं, ऐसा कानून ही बनाए ।
इस प्रकरणमें राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन की मांग है कि.....
1 . आर्थिक
प्रलोभन तथा बलपूर्वक किया जानेवाला धर्मांतरण रोकने हेतु कठोर धर्मांतर-बंदी
कानून बनाया जाए ।
2 . धर्मांतरमें
सहायता हो, ऐसा कोई भी
सेवाकार्य अहिन्दुओंको न दिया जाए । विशेषत: अदिवासी क्षेत्रमें अहिंदुओंको किसी
भी सेवाकार्य से दूर रखा जाए । ऐसा कार्य करनेवाली सामाजिक, शैक्षणिक संस्थाओंपर भी कठोर कानूनी कार्यवाही
की जाए ।
3 . जिन हिंदुओंको
स्वधर्म अपनाना है, उनपर किसी भी
प्रकारकी आपत्ति न लगाई जाए, साथ ही शासनकी ओरसे उन्हें सर्व प्रकारकी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं ।
4 . मिशनरियोंको
पैसा कहांसे मिलता है, कौन-कौनसी
संस्थाएं इसमें सहभागी हैं, इसकी गहन जांच की
जाए, साथ ही विदेशी
मिशनरियोंका ‘वीजा’ तत्काल निरस्त किया जाए ।
5 . मिशनरियोंको
विदेशकी स्वयंसेवी संस्थाओंसे मिलनेवाले धनपर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए, साथ ही यहांके बैंक ये पैसे न स्वीकारें,
ऐसे आदेश शासन जारी करे ।
6 . वर्ष १९५६ में
मध्यप्रदेश शासनने ईसाई मिशनरियोंकी कार्यवाहियोंकी जांच हेतु न्यायमूर्ति
भवानीशंकर नियोगीकी अध्यक्षतामें एक समिति नियुक्त की थी । इस समितिने एक सहस्र
पृष्ठकी रिपोर्ट अपनी सिफारिशोंके साथ दी है । उसे लागू किया जाए ।
7 . तेलंगाना तथा
पंजाब शासनका ‘ईसाई भवन’
बनानेका निर्णय तत्काल
निरस्त किया जाए !
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