लोकसभा चुनाव
में जीत
का ताज
हासिल करने
की कसरत
में जुटी
भाजपा के
पसीने ताजनगरी
ने छुड़ा
दिए हैं।
प्रत्याशी तय करने के लिए
पार्टी जो
गोपनीय सर्वे
करा रही
है, उसी
सर्वे में
वोट प्रतिशत
घट रहा
है। लेकिन
भाजपा को
सीट से
ज्यादा इस
बात की
चिंता है
कि शहर
में मोदी
का जादू
असर क्यों
नहीं कर
रहा? जबकि
सर्वे आगरा
में मोदी
की ऐतिहासिक
विजय शंखनाद
रैली के
बाद हुआ
है।
लोकसभा चुनाव
में भाजपा
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र
मोदी तो
कांग्रेस हटाओ
का नारा
देकर 272 प्लस
का लक्ष्य
भेदने की
कसरत में
जुटे हैं।
देश भर
में मोदी
मैजिक के
जबर्दस्त असर
के दावे
हो रहे
हैं, लेकिन
इस गुमान
में डूबी
भाजपा आगरा
सीट को
लेकर बैचेन
हो गई
है। आगरा
लोकसभा सीट
पर भाजपा
वर्तमान में
भाजपा के
रामशंकर कठेरिया
सांसद हैं।
हालांकि बीते
लोकसभा चुनाव
से पहले
इस सीट
पर लगातार
दो बार
सपा से
सिने अभिनेता
राजबब्बर ने
जीत हासिल
की थी,
लेकिन बावजूद
इसके इस
सीट पर
भाजपा की
मजबूत पकड़
मानी जाती
है। ऊपर
से बीते
साल 21 नवंबर
को कोठी
मीना बाजार
मैदान में
नरेंद्र मोदी
की विजय
शंखनाद रैली
ऐतिहासिक रही
थी। रिकॉर्ड
भीड़ उमड़ी
थी, जिसने
भाजपा को
उत्साह में
भर दिया
था।
पार्टी सूत्रों
के मुताबिक
इसके बाद
पार्टी द्वारा
कराए जा
रहे गोपनीय
सर्वे का
सिलसिला शुरू
हुआ। सूत्रों
की मानें,
तो पहला
सर्वे मोदी
की रैली
से पहले
कराया गया
था, इस
सर्वे में
लोकसभा क्षेत्र
में भाजपा
की पकड़
कमजोर होने
का खुलासा
हुआ। फिर
पार्टी ने
विजय शंखनाद
रैली के
बाद सर्वे
कराया, उम्मीद
थी कि
तब तक
हालात बदल
चुके होंगे।
लेकिन परिणाम
चौंकाने वाले
आए। दूसरे
सर्वे में
भी पार्टी
का वोट
प्रतिशत करीब
तीन फीसद
तक घटता
हुआ सामने
आया। पार्टी
सूत्रों के
मुताबिक इसके
बाद पिछले
दिनों एक
और सर्वे
कराया गया
है, इसमें
भी पार्टी
का वोट
प्रतिशत घट
रहा है।
सूत्रों की
मानें, तो
सर्वे रिपोर्ट
मिलने के
बाद पार्टी
आलाकमान आगरा
सीट को
लेकर मंथन
में जुटी
है।
कम अंतर
से जीते
थे कठेरिया
वर्ष 2009 में
हुए लोकसभा
चुनाव की
बात करें,
तो भाजपा
प्रत्याशी रामशंकर कठेरिया को दो
लाख तीन
हजार 647 वोट
पाकर जीते
थे और
दूसरे नंबर
पर रहे
बसपा प्रत्याशी
कुंवरचंद वकील
को 1 लाख
93 हजार 982 वोट हासिल हुए थे।
यानि जीत
में केवल
नौ हजार
665 वोटों का ही अंतर था।
अब भाजपा
की चिंता
यह है
कि सर्वे
में बीते
चुनाव के
मुकाबले वोट
में तीन
फीसद तक
कमी सीधे
हार की
तरफ इशारा
करती दिखती
है।
हार का
सबसे बड़ा
कारण भितरघात
पार्टी सूत्रों
की मानें,
तो सर्वे
में पार्टी
की लोकप्रियता
की दिक्कत
के साथ
संगठन के
अंदर गुटबाजी
को नुकसान
की अहम
वजह माना
गया है।
सामने आया
है कि
लोकसभा क्षेत्र
के तहत
संगठन में
कई गुट
बने हुए
हैं और
बहुत से
नेता भितरघात
भी कर
सकते हैं।
Post a Comment