अरविंद केजरीवाल द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बदले राजनीतिक हालात ने भाजपा को भी पसोपेश में डाल दिया है। प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल की जगह नए अध्यक्ष को लेकर पार्टी में असमंजस की स्थिति बढ़ती जा रही है।
आठ दिसंबर को चुनाव परिणाम के बाद से ही प्रदेश कार्यकारिणी में फेरबदल के कयास लगने शुरू हो गए थे। बीते सप्ताह प्रदेश अध्यक्ष पद से विजय गोयल द्वारा इस्तीफा देने के बाद यह बात साफ भी हो गई, लेकिन गोयल को तब तक पद पर बने रहने को कहा गया है, जब तक नए अध्यक्ष की घोषणा नहीं हो जाती। नए अध्यक्ष के तौर पर पार्टी ने डॉ. हर्षवर्धन के नाम पर मोहर लगा दिया था, लेकिन ठीक अगले दिन अरविंद केजरीवाल द्वारा इस्तीफा देने के बाद राजनीतिक हालात बदल गए और भाजपा विधायक दल के नेता डॉ. हर्षवर्धन ने प्रदेश अध्यक्ष बनने से इंकार कर दिया। ऐसे में पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष पद की घोषणा रोक दी।
ऐसे में अब लोकसभा चुनाव तक विजय गोयल को ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहने देने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नए नाम पर विचार किया जाए और इसमें जातीय समीकरण को ध्यान में रखा जाए। ध्यान रहे कि भाजपा वैश्य वर्ग से विधायक दल का नेता बनाती है तो प्रदेश अध्यक्ष पंजाबी समुदाय से होता है।

वहीं विधायक दल का नेता पंजाबी समुदाय से होने पर प्रदेश अध्यक्ष वैश्य समुदाय से होता है। इस समीकरण को ध्यान में रखते हुए नए नामों पर भी विचार किया जा रहा है।

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