आप सरकार ने जाते-जाते पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में कार्रवाई का रास्ता शुक्रवार को साफ कर दिया है। भ्रष्टाचार के मामले में निचली अदालत द्वारा दिए गए प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश को कांग्रेस सरकार के समय हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। मगर, अब इस याचिका को सरकार ने यह कहते हुए वापस लेने की मांग की है कि अब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री नहीं रही हैं, इसलिए वह अपने केस को खुद लड़े। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुनील गौड़ की अदालत सरकार की इस अर्जी पर 18 फरवरी को सुनवाई करेगी।

ज्ञात हो कि निचली अदालत ने वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव के दौरान विज्ञापन में सरकारी फंड का दुरुपयोग करने के मामले में शीला के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में एक अर्जी दायर कर कहा कि कैबिनेट में यह फैसला लिया गया है कि सरकार अब शीला दीक्षित के खिलाफ केस को नहीं लड़ेगी। इस निर्णय को उपराज्यपाल ने भी अपनी अनुमति दे दी है। उल्लेखनीय है कि 31 अगस्त, 2013 को निचली अदालत ने भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता की शिकायत पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। इसी आदेश को शीला सरकार ने न्यायालय में चुनौती दी थी।

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