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नई दिल्ली,द्वारका साहित्यिक मंच के सौजन्य से सोसायटी के सेंट्रल पार्क में वरिष्ठ कवि, ग़ज़लकार श्री देवेंद्र माँझी साहब की अध्यक्षता में ‘कवि सम्मेलन एवं मुशायरा’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन ऑल इंडिया रेडियो (AIR) में कार्यरत वरिष्ठ कवि एवं गायक डॉ. उमेश पाठक जी ने किया। कार्यक्रम के सूत्रधार थे, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर धनंजय जोशी जी। कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन के सारस्वत कार्य से हुआ। दीप प्रज्वलन के पश्चात् दो छोटी बच्चियों कुमारी अंशिका और कुमारी सृष्टि ने गणेश वंदना पर मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद समकालीन हिंदी साहित्य के वरिष्ठ उपन्यासकार श्री भगवान दास मोरवाल जी ने डीएलएफ की स्थापना, उद्देश्य आदि विषयों पर अपने विचार साझा किए। इसके पश्चात् संस्था के लोगो का विमोचन किया गया, जिसकी साज-सज्जा और डिजाइन को लोगों ने बहुत सराहा। 
उभरती कवयित्री मेधा महिमाश्री ने समाज में नारी की वर्तमान स्थिति को बयान करते हुए बताया कि कहने को समाज कितना भी आधुनिक हो गया हो, किंतु आज भी नारी की स्थिति में बहुत अंतर नहीं आया है। 
देश के विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज बुलंद कर चुकीं वरिष्ठ कवयित्री सुश्री सुनीता श्रुति श्री ने श्रृंगार रस में रचे-बसे कुछ मुक्तक सुनाए। 
कार्यक्रम में गुरुग्राम से आए वरिष्ठ कवि डॉ. गुरविंदर बांगा ने भी शिरकत की, जो त्वचा रोग विशेषज्ञ हैं, किंतु दिल से कवि हैं और शीघ्र ही उनका एक वृहद कविता-संग्रह प्रकाशित होने वाला है। बांगा साहब ने श्रोताओं को गमगीन कर देने वाली एक बहुत ही खूबसूरत रचना सुनाई\
माहौल को गमगीन होते देखकर हरियाणा से ही पधारे हास्य-व्यंग्य में महारत रखने वाले कवि पंकज श्याम लाठर को बुलाया गया। उन्होंने भी अपना कवि-धर्म बखूबी निभाया और अपनी चुटीली रचनाओं से श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया।
 इसके पश्चात् कार्यक्रम के सूत्रधार प्रो. धनंजय जोशी जी अपनी एक बेहतरीन रचना लेकर प्रस्तुत हुए। जोशी जी का नवीनतम कविता-संग्रह ‘मधुर स्मृति कमल’ हाल ही में प्रकाशित हुआ है। उनकी रचना में रिश्ते, मीडिया, राजनीति के अँधेरे पहलुओँ को छूआ गया है। 
 यह द्वारका साहित्यिक मंच का प्रथम औपचारिक कार्यक्रम था, किंतु कार्यक्रम के स्तर को देखकर ऐसा लगा, जैसे कि यह संस्था वर्षों से साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करती आ रही हो। 


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