नयी दिल्ली : पिछले दो दशक से भारत अपनी सैन्य शक्ति मजबूत करने पर विशेष जोर दे रहा है. रक्षा अनुसंधान और विकास परिषद (डीआरडीओ) लगातार भारत को नयी तकनीकों से लैस मिसाइलें प्रदान कर रहा है. इसके साथ ही पिछले कुछ सालों से भारत रक्षा सौदे में सबसे आगे चल रहा है. भारत विश्व में हथियारों का एक बड़ा खरीदार है. आज ही भारत ने स्वदेश निर्मित सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इस मिसाइल से कम ऊंचाई पर आ रही किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट किया जा सकता है. इस मिसाइल का एक महीने से भी कम समय में दूसरी बार परीक्षण किया गया है. यह बहुस्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने के प्रयासों का एक हिस्सा है. इसके अलावे भारतीय बेड़े में अग्नि सिरीज की पांच मिसाइलें हैं, वहीं अग्नि 6 मिसाइल के निर्माण को लेकर भी अनुसंधान चल रहे हैं. डीआरडीओ रक्षा मंत्रालय के अधिन आता है और यह तीनों सेनाओं के लिए हथियार विकसति करता है.
क्या है रक्षा अनुसंधान और विकास परिषद
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के अधीन काम करता है. डीआरडीओ रक्षा प्रणालियों के डिजाइन एवं विकास के लिए समर्पित है. यह तीनों सेनाओं के लिए रक्षा सेवाओं की गुणात्मक आवश्यकताओं के अनुसार विश्व स्तर के हथियार प्रणालियों और उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में काम करता है. डीआरडीओ सैन्य प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहा है, जिसमें वैमानिकी, शस्त्रों, संग्राम वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग प्रणालियों, मिसाइल, सामग्री, नौसेना प्रणालियों, उन्नत कंप्यूटिंग, सिमुलेशन और जीवन विज्ञान शामिल है. डीआरडीओ अत्याधुनिक आयुध प्रौद्योगिकी की आवश्यकतापूर्ति के साथ-साथ समाज के लिए स्पिनऑफ लाभ देकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहा है.भारत के पास मौजूद अस्त्र-शस्त्र
भारत के सैन्य बेड़े में कई ऐसे मिसाइल और हथियार हैं जो दुश्मनों में हड़कंप मचाने के लिए काफी हैं. आपको बता दें कि अभीतक भारत ने किसी भी देश पर आक्रमण नहीं किया है लेकिन हर आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब दिया है. भारतीय सेना के बेड़े में ये हथियार मौजूद हैं.
बैलिस्टिक मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल उस प्रक्षेपास्त्र को कहते हैं जिसका प्रक्षेपण पथ सब-आर्बिटल (बैलिस्टिक पथ) होता है. इसका उपयोग किसी हथियार (प्राय: नाभिकीय अस्त्र) को किसी पूर्वनिर्धारित लक्ष्य पर दागने के लिये किया जाता है. यह मिसाइल अपने प्रक्षेपण के पहले चरण में ही गाइड की जाती है. प्रक्षेपण के बाद इसके लक्ष्य में परिवर्तन संभव नहीं है. सबसे पहला बैलिस्टिक मिसाइल ए-4 था जिसे जर्मनी ने 1930 से 1940 के मध्य में विकसित किया गया था. ये मिसाइलें सतह से सतह पर मार करने की क्षमता रखते हैं.
भारत के कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल
पृथ्वी 1
पृथ्वी 2
पृथ्वी 3
प्रहार
मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल
अग्नि-1
अग्नि-2
इंटरमीडिएट दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल
अग्नि-3
अग्नि-4
अन्तरमहाद्वीपीय दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल
अग्नि-5
अग्नि-6 (विकासाधीन)
सूर्या
पनडुब्बी प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल
के-15 सागारिका
के-४ एसएलबीएम (परीक्षण के दौर से)
के-5 एसएलबीएम (विकासाधीन)
सामरिक मिसाइल
शौर्य
प्रहार
क्रूज मिसाइल
ब्रह्मोस-1
ब्रह्मोस 2
निर्भय
शिप लांच बैलिस्टिक मिसाइल
धनुष
टैंक भेदी मिसाइल
नाग मिसाइल
अमोघा मिसाइल (विकासाधीन)
भारत के सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल
कम दूरी की मिसाइल
आकाश
त्रिशूल
मध्यम दूरी की मिसाइल
बराक 8
एंटी बैलिस्टिक मिसाइल
पृथ्वी एयर डिफेंस
एडवांस एयर डिफेंस
हवा से सतह में मार करने वाले मिसाइल
डीआरडीओ एंटी रेडिएशन मिसाइल
भारत बना रहा है 12,000 किलोमीटर मार करने वाली मिसाइल
अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण करने के बाद भारत 12,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने की तैयारी कर रहा है. पूर्व में भारत ने 5000 किलोमीटर मारक क्षमता वाली मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया है. भारत की अगली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की मारक क्षमता 12,000 किलोमीटर होगी. इस प्रकार का मिसाइल तैयार करने के बाद भारत की जद में पूरी दुनिया होगी. पिछले दिनों रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में आर्मामेंट रिसर्च बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. एस के सलवान ने संकेत दिये थे कि भारत 10,000 किलोमीटर से अधिक दूरी की मारक क्षमता वाला मिसाइल बनाना चाहता है. उन्होंने एक सम्मेलन के इतर कहा था, 'भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल का हाल ही में सफल परीक्षण किया है, जिसकी मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर है. लेकिन हम आईसीबीएम विकसित करने में सक्षम हैं जो 10,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक निशाना साध सकती है.'
इन देशों के पास है 10,000 किलोमीटर मार करने वाली मिसाइल
वर्त्तमान में अमेरिका, रूस और चीन के पास 10,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मारक क्षमता वाली मिसाइल है. अमेरिका के पास परमाणु क्षमता सम्पन्न सबसे प्रमुख मिसाइल मिनुटेमन-3 है, जिसकी मारक क्षमता 13,000 किलोमीटर तक है. यह मिसाइल 500 की संख्या में 2020 के लिए सेवारत है. अमेरिका के ही पास पनडुब्बी से छोड़ी जा सकने वाली मिसाइल ट्राइडेंट डी-5 भी है, जो 12,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है और 2,800 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जा सकती है.
रूस के पास आरएस-24 मिसाइल है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह 10,500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है. यह आरटी-2यूटीटीएच टोपोल-एम का उन्नत संस्करण है, जो 1,200 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जाने में सक्षम है.
चीन के पास भी लंबी दूरी तक मार करने वाले मिसाइलें हैं. चीन की प्रमुख अंतरमहाद्विपीय बैलेस्टिक मिसाइल डीएफ-5ए की क्षमता 13,000 किलोमीटर तक माना जाता है. यह मिसाइल 3,200 किलोग्राम तक विस्फोट ले जाने में सक्षम है. चीन के पास भी पनडुब्बी से छोड़ी जा सकने वाली जेएल-2 मिसाइल है, जो 8,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है.
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