आरएसएस से संबंधित एक पत्रिका ने स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में आपातकाल पर एक अध्याय शामिल करने की वकालत की है और इस बात पर जोर दिया है कि नयी पीढ़ी को पता होना चाहिए कि आपातकाल ने किस तरह लोकतंत्र की हत्या की थी।  संघ से संबंधित पत्र ‘आॅर्गेनाइजर’ में प्रकाशित एक लेख के अनुसार नयी पीढ़ी को बताना जरूरी है कि आपातकाल ने लोकतंत्र की हत्या की थी। इसके लिए हाल ही में हुए एक आयोजन में भाजपा के कुछ नेताओं के विचारों का भी हवाला दिया गया है।  लेख के अनुसार, ‘‘स्वतंत्रता आंदोलन के बाद यह जनता की सबसे बड़ी लड़ाई थी, जिसे लोगों ने मिलकर लड़ा। इसलिए जरूरी है कि नयी पीढ़ी को इससे अवगत कराया जाए ताकि वो जान सके कि एक राजनीतिक दल ने लोकतंत्र की हत्या के लिए कितने कुटिल प्रयास किये थे और जनता ने किस तरह सामूहिक रूप से निरंकुश शासन की योजना को विफल कर दिया था।’’ इसमें लिखा है कि आपातकाल के खिलाफ संघर्ष करने वाले लोगों के संगठन ‘लोकतंत्र सेनानी संघ’ ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर मांग की थी कि सरकार स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों को लोकतंत्र की अवधारणा के बारे में पढ़ाए। 
इसमें कहा गया है, ‘‘स्वतंत्र भारत के इतिहास में आपातकाल एक अंधेरा कालखंड रहा है और यह सत्ता की निजी भूख के लिए देश के खिलाफ किया गया आपराधिक कृत्य था। जिन्होंने देश को इस अंधियारे कालखंड में धकेला, उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को उस संघर्ष के इतिहास को भी पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।’’ 
लेख के अनुसार युवा पीढ़ी को जयप्रकाश नारायण के जीवन और संघर्षों के बारे में पढ़ाना लोकतंत्र में उनके विश्वास को मजबूत करेगा जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ जन-आंदोलन की अगुवाई की थी। 

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