
लश्कर-ए-तैयबा में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अब्दुर रहमान मक्की ने पंपोर हमले के बारे में कहा है, ''दो शेरों ने गीदड़ों के काफ़िले को घेर लिया.''
मक्की रविवार को पाकिस्तान के गुजरांवाला में रैली में बोल रहे थे. इसमें जमात-उद दावा
प्रमुख हाफ़िज़ सईद भी मौज़ूद थे. मक्की सईद के क़रीबी रिश्तेदार हैं.
हाफ़िज़ सईद के बारे में तो भारत में बहुत कुछ सुना और कहा गया है लेकिन मक्की को शायद कम लोग जानते हैं.
कौन हैं अब्दुर रहमान मक्की जिन्होंने पंपोर चरमपंथी हमले की तारीफ़ की?
पंपोर में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के काफ़िले पर हुए हमले में आठ जवानों की मौत हो गई थी.
अब क़रीब 68 साल के हो चुके अब्दुर रहमान
मक्की रिश्ते में हाफ़िज़ सईद के भाई लगते हैं. लश्कर-ए-तैयबा में उनकी हैसियत नंबर दो की है.
अमरीका के न्याय विभाग ने उनपर 20 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है.
भारत 26/11 के मुंबई हमले के लिए लश्कर को ज़िम्मेदार ठहराता है. जिसमें छह अमरीकी नागरिकों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी.
जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा का फ्रंटल संगठन है. लश्कर पर पाकिस्तान ने भी प्रतिबंध लगाया हुआ है.
पंपोर हमले के एक दिन बाद गुजरांवाला की इस रैली का वीडियो कुछ फ़ेसबुक अकाउंट से इंटरनेट पर अपलोड किया गया. इसमें जमात-उद-दावा का लिंक भी दिया गया है.
रैली में मक्की ने पाकिस्तान के लोगों से अपील की कि वो भारत के खिलाफ़ युद्ध के लिए उनके संगठन में शामिल हों.
उन्होंने कहा, ''मैं एक बैठक में शामिल होने रहीम यार ख़ान जा रहा हूं, 'अभी भारतीय मीडिया चीख़-चीख़ कर कह रही है कि पंपोर में हमारी सेना के हमारे हीरो जब प्रशिक्षण लेकर बसों से लौट रहे थे, तो दो चरमपंथियों ने उन्हें घेर लिया'. लेकिन दो शेरों ने गीदड़ों के काफ़िले को घेर लिया था.''
उन्होंने कहा कि भारतीय जनरलों ने आठ जवानों के मारे जाने की पुष्टि की है.
अमरीका ने दिसंबर 2001 में लश्कर-ए-तैयबा को विदेशी चरमपंथी संगठन बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया था.
अमरीका ने अप्रैल 2008 में जमात-उद-दावा को भी आतंकी संगठऩ घोषित कर दिया था. उसी साल दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र ने इस संगठन को चरमपंथी संगठन घोषित कर दिया.
लश्कर-ए-तैयबा में नंबर दो की हैसियत होने के बाद भी मक्की का नाम अबतक भारत में किसी चरमपंथी घटना में सामने नहीं आया है.
उनका नाम भारत में वांछित चरमपंथियों की उस सूची में भी नहीं है, जिसे भारत ने पाकिस्तान को सौंपा है.
मक्की को भारत विरोधी ख़ासकर कश्मीरी एकता के लिए दिए गए नफ़रत से भरे भाषणों के लिए जाना जाता है.
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