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अखिल भारत हिन्दू महासभा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति |
30 जनवरी 2015,पनवेल-नवी मुंबई. महाराणा प्रताप बटालियन के अध्यक्ष श्री अजयसिंग सेंगर द्वारा महाराणा प्रताप पुण्यस्मृती तथा अमरवीर पंडित नथुराम गोडसे साहस दिन के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रिय प्रवक्ता प्रमोद पंडित जोशी को निमंत्रित किया गया था।
प्रमोद जोशी ने प्रथमतः "गोडसे को हीरो बनानेवालों को बक्शा नहीं जाएगा !" ऐसी धमकी देनेवाले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को कार्यवाही का आव्हान करते हुए अपने पीछे छोड़े गए पुलिस प्रशासन को उजागर किया।देहली कार्यालय की भाँती मेरठ कार्यालय में निजी संपत्ति पर गोडसे के स्मारक को बाधा उत्पन्न करने वाले उत्तर प्रदेश तथा केंद्र सरकार के षड्यंत्र को प्रस्तुत किया।
विभाजन की पूर्वपीठिका को समझाते हुए कहा की इतिहास का सत्य जानबुझकर छिपाया जा रहा है। १९४६ असेंब्ली चुनाव में कांग्रेस का हारना तय था अखंड भारत समर्थक हिन्दू महासभा और पाकिस्तान समर्थक मुस्लिम लीग में प्रतिस्पर्धा थी। ऐसे में नेहरू ने गुरु गोलवलकर को अखंड भारत का वचन देकर हिन्दू महासभा के विरोध में समर्थन माँगा परिणामतः हिन्दू महासभा पराभूत हुई और कांग्रेस ने अल्पसंख्या के आधारपर-जनसँख्या के अनुपात में हुए विभाजन में अखंड भारत की १/३ भूमि का पूर्व-पश्चिम पाकिस्तान निर्माण करवाया। दस करोड़ हिन्दुओं की हत्या,बलात्कार,अपहरण,जबरन निकाह के लिए जिम्मेदार तथा शरणार्थी हिन्दुओं को पाकिस्तान गए मुसलमानों के मकानो को से बाहर कर पाकिस्तान से मुसलमानों वापस बुलाकर उनकी व्यवस्था के लिए भारी वर्षा और ठण्ड में उन्हें सड़क के किनारे तम्बू में रहने के लिए विवश करनेवाले नेहरू-गांधी के षड्यंत्र को जिम्मेदार बताते हुए किस हिन्दू का खून न खौलेगा ? यह पूछकर हिन्दू महासभा के राष्ट्रिय महामंत्री रहे अमरवीर नथुराम ने क्षात्र की भांति जो कार्य किया उसका समर्थन किया।
शरणार्थियों की सेवा में लगे स्वयंसेवकों के अतिरिक्त संघ ने विभाजन का विरोध तक नहीं करने का आरोप लगाया। महासभा विरोधी बनी गुरु गोलवलकर की कृति के कारन नथुरामजी ने हिन्दू महासभा के सहयोग के लिए "हिन्दुराष्ट्र दल" की स्थापना की थी।
गांधी को अखिल भारत हिन्दू महासभा १३ अप्रेल १९१५ स्थापना दिवस पर हरिद्वार में उपस्थित रहनेवाले महासभा संस्थापक पंडित मदनमोहन मालवीयजी का अनुयायी बताते हुए मार्च १९२० तक गांधी हिन्दू महासभा के साथ थे,कहा। मोतीलाल नेहरू ने जवाहरलाल को भेजे पत्रों का आधार बताकर गांधी को ब्रिटिश एजंट मोतीलाल ने सी आर दास के द्वारा अपने प्रतिस्पर्धी तिलकजी की भाँती कालापानी, न्यायालयीन विवादों में उलझाए रखने का या हत्या का झांसा देकर अपने हिन्दू विरोधी पक्ष को सशक्त किया था। इसे उजागर करते हुए नेहरू-पटेल-मोरारजी देसाई को गांधी वध की जानकारी रहते नहीं रोकने के कारन जिम्मेदार बताया। तथा आज के दिन यह वध नहीं हुआ होता तो,पूर्वी-पश्चिमी पाकिस्तान के बीच देहली होकर जानेवाला दस मिल चौड़ा दोनों ओर बहुसंख्य मुस्लिम आबादी का कॉरिडोर बनता जो अखंड पाकिस्तान बनते समय नहीं लगता, वह षड्यंत्र ठहर गया। इसलिए देश बचा गए नथुराम ! की कहावत प्रचलित हुई !
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