जन लोकपाल बिल को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के आसार बढ़ गए हैं। उपराज्यपाल नजीब जंग विधानसभा को अगले छह महीने की अवधि के लिए निलंबित कर केंद्र से राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं।
विधानसभा में 32 सीटों वाली भाजपा पहले नंबर की पार्टी है। यदि वह पहल करे तो सरकार बना सकती है। लेकिन ऐसा तभी संभव होगा जब आम आदमी पार्टी (आप) अथवा कांग्रेस में बगावत हो। ऐसा करने पर भाजपा पर तोड़फोड़ करने का आरोप लगेगा। शायद यही वजह है कि पार्टी की ओर से यह संकेत मिल रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी दिल्ली में तत्काल सरकार बनाने की पहल नहीं करेगी। भाजपा को सरकार बनाने के लिए कम से कम पांच विधायकों की जरूरत होगी। विधानसभा में बहुमत के लिए 36 का आंकड़ा चाहिए जबकि एक सदस्य को अध्यक्ष भी बनाना होगा। निर्दलीय विधायक रामवीर शौकीन और आप से निष्कासित विधायक विनोद कुमार बिन्नी भाजपा के साथ सकते हैं। लेकिन तीन और सदस्यों का समर्थन हासिल करना कतई आसान नहीं है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. हर्षवर्धन ने स्पष्ट तौर पर कहा कि भाजपा दिल्ली में सरकार बनाने की पहल नहीं करेगी। उनका इशारा इस ओर था कि पार्टी सरकार बनाने के लिए किसी दल में तोड़ फोड़ करने की तोहमत अपने सिर नहीं लेना चाहती। इस मामले में गेंद अब पूरी तरह केंद्र सरकार के पाले में है। केजरीवाल द्वारा विधानसभा को भंग किए जाने की सिफारिश के मद्देनजर सूत्रों ने कहा कि अल्पमत की सरकार की सिफारिश को मानने को उपराज्यपाल बाध्य नहीं हैं।
ये हैं विकल्प:
-उपराज्यपाल विधानसभा को भंग करें। राष्ट्रपति शासन लगाएं। इसकी अवधि छह महीने तक हो सकती है।
-विधानसभा को भंग करने के बजाय निलंबित रखा जाए और राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। इस दौरान सरकार बनने की संभावना भी तलाशी जाए।


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