जम्मू-कश्मीर के गृह राज्यमंत्री सज्जाद अहमद किचलू ने रविवार को विधानसभा में बताया कि अभी भी सरहद पार गुलाम कश्मीर और पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों में 4132 आतंकी हैं। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि ये सभी जम्मू कश्मीर के हैं या गुलाम कश्मीर या पाकिस्तानी मूल के। किचलू रविवार को विधानसभा में पैंथर्स पार्टी के विधायक हर्षदेव सिंह द्वारा पूछे गए एक सवाल का लिखित जवाब दे रहे थे।
उन्होंने बताया कि तीन साल पहले शुरू की गई सरहद पार से आतंकियों की वापसी और पुनर्वास नीति के तहत अब तक राज्य सरकार ने महज 12 लोगों को आम माफी देने के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय को कहा है। इनमें से कोई भी वापस नहीं लौटा है। इस योजना के तहत आवेदन कर लौटे 28 अन्य को माफी या अन्य कोई लाभ नहीं मिलेगा।
किचलू ने बताया कि 1990 के दशक में राज्य के बहुत से नौजवान गुमराह होकर आतंकी बनने गुलाम कश्मीर या फिर पाकिस्तान चले गए थे। बाद में इनका इरादा बदल गया और ये आतंकी बनकर वापस नहीं आए। अब ये लोग वापस आकर एक सामान्य जिंदगी जीना चाहते हैं। इन युवकों की वापसी के लिए ही नवंबर 2010 के दौरान राज्य सरकार ने एक योजना बनाई है। इसके तहत 31 जनवरी 2014 तक 1171 युवकों की तरफ से आवेदन आए हैं। संबंधित सुरक्षा एजेंसियों ने सिर्फ 422 आवेदनों को ही मंजूरी मिली है।
मंत्री ने बताया कि स्वीकार किए गए 422 आवेदनों में से सिर्फ 12 युवकों को आम माफी देने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है। केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद यह वापस आएंगे। इसके अलावा 382 अन्य आवेदनों को केंद्र सरकार को पास भेजने पर भी विचार किया जा रहा है। शेष 28 आवेदकों को इस योजना का कोई लाभ नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वह नेपाल के रास्ते आए हैं। अटारी, बाघा, सलामाबाद-उड़ी, चकना-दा-बाग पुंछ और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडे के रास्ते आने वाले युवकों को ही इस योजना के तहत आम माफी व अन्य लाभ दिए जाने का प्रावधान है।
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