भारत और विदेशों में पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए विवेक शर्मा,  फ्रीलांस इंटरनेशनल जर्नलिस्ट को  कलाम की सिपाही’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने दुनिया की खतरनाक सीमा उत्तर-दक्षिण कोरिया सीमा से रिपोर्टिंग और ताशकंद से कहानी भी कवर की जहाँ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने अंतिम सांस ली थी। अन्ना आन्दोलन के दौरान देश में उन्होंने सबसे पहले अन्ना की टोपी पर लिखने का कांसेप्ट बनाया, और  2011 के आन्दोलन में ‘अन्ना टोपी’ पर सबसे पहले “ मैं अन्ना हूँ” लिखकर देश को एक नया नारा दिया जो उस समय का सबसे प्रसिद्ध नारा बना था |  विवेक शर्मा को यह पुरस्कार जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के साथ न्यूज़पेपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनएआई) द्वारा एक सम्मान समारोह में दिया गया। यह पुरस्कार डे आफ्टर मैगजीन के एडिटर-इन-चीफ सुनील डांग और डॉ अजय कुमार, निदेशक, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च द्वारा प्रस्तुत किया गया था। विवेक शर्मा ‘सेंटर फॉर आर्ट लैंग्वेज एंड कल्चरल एक्सचेंज’ (CALCE Bharat) के संस्थापक और अध्यक्ष भी हैं, जो भारतीय संस्कृति और भाषा को भारतीय छात्रों के विनिमय, रेडियो FM RJ , भारतीय पत्रकारों, अन्य देशों के कलाकारों के विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से बढ़ावा देगा। प्रमुख समाचार पत्रों में से अन्य पुरस्कार पाने वालों में न्यूजपेपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के 27 वें वार्षिक दिवस के अवसर पर तृप्ता आर्य, टीवी 18 के संपादक, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री की बेटी और प्रसिद्ध नृत्यांगना अरुशी निशंक, एफएम समाचार के संपादक राशिद हाशमी, भी शामिल थे। इस मौके पर मौजूद देश के विख्यात जर्नलिस्ट तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने कहा की एक पत्रकार का जीवन बहुत दुर्लभ होता है, वह एक खबर लाने क लिए धुप, गर्मी, नींद, परिवार आदि सभी का सामना करना पड़ता है ताकि सच को दबाया न जा सके। इस मौके पर ज़ी हिंदुस्तान की एंकर और प्रोड्यूसर माधुरी कलाल को वर्ष के सर्वश्रेष्ठ एंकर का पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सुपरहिट 93.5 रेड एफएम की आरजे हीना को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला आरजे का पुरस्कार भी मिला। इस मौके पर 40 वरिष्ठ पत्रकारों और 20 शिक्षकों को भी ‘ कलाम की सिपाही’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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