10 जुलाई 2016 , नई दिल्ली|  बांग्लादेश में स्थित ढाका पर जिहादी आक्रमणकारियों में से रोहन इम्तियाज और निबरस इस्लाम नामक दो आतंकवादी ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ के संस्थापक डॉ. जाकिर नाईक के भाषण से प्रेरित हुए थे, ऐसा तथ्य सामने आया है । इससे पहले ११ जुलाई २००६ कोे मुंबई की लोकल ट्रेन में हुए बमविस्फोटों में सहभागी राहिल शेख, वर्ष २००९ में न्यूयॉर्क में हुए आतंकवादी आक्रमणों का जाल बुननेवाले नजीबुल्ला जाजी और हाल ही में भाग्यनगर (हैदराबाद) में पकडे गए ‘इसिस’ के प्रमुख इब्राहिम यजदानी, ये सभी डॉ. जाकिर नाईक के भाषण से बहुत प्रभावित हुए, ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है । डॉ. जाकिर नाईक आतंकवाद को प्रोत्साहन देते हैं । इतना ही नहीं, उन्होंने हिन्दुआें के देवताआें के विषय में भी विवादास्पद वक्तव्य किया है, जिसके कारण भारत में अनेक स्थानों पर उनपर अपराध प्रविष्ट किए गए हैं । डॉ. जाकिर पर आतंकवादी गतिविधियां करने का और ओसामा बिन लादेन का तुष्टीकरण करने का आरोप होने के कारण, इंग्लैंड, कैनडा जैसे ईसाई देशों में प्रवेशबंदी है और मलेशिया जैसे इस्लामी देश में भाषण करने की बंदी है । वर्ष २०१२ में कांग्रेस शासन ने भी डॉ. जाकिर के ‘पीस टीवी’ चैनल पर देशविरोधी प्रक्षेपण करने के कारण भारत में इसके प्रक्षेपण पर प्रतिबंध लगाया गया है । तब भी भारत में अनेक मुसलमानबहुल स्थानों पर खुलेआम ‘पीस टीवी’ का प्रक्षेपण जारी ही है । ऐसे आतंकवाद को बढावा देनेवाले डॉ. जाकिर नाईक को तत्काल गिरफ्तार कर, प्रतिबंध लगाए गए उनके देशद्रोही ‘पीस टीवी’का प्रक्षेपण करनेवालों पर भी कठोर कार्यवाही की जाए, इन मांगों को लेकर जंतर मंतर, नई दिल्ली में सुबह १० से १२ बजे तक ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ का आयोजन किया गया ।

इस समय राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन में निम्नांकित मांगें भी की गईं । कैराना (जि. शामली, उत्तरप्रदेश) विधानसभा क्षेत्र में धर्मांधों के अत्याचारों के कारण गत दो वर्षों में ३४६ हिन्दू परिवारों ने पलायन किया है । एक समय इस क्षेत्र में मुसलमानों की जनसंख्या ५४ प्रतिशत थी, जो बढकर अब ९२ प्रतिशत हो गई है । इस गंभीर परिस्थिति को ध्यान में रखतेे हुए केंद्र शासन द्वारा उचित कार्यवाही की जाए, कैराना के हिन्दू परिवारों का तत्काल पुनर्वसन किया जाए तथा उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए । 

डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के प्रकरण में किसी भी अन्वेषण तंत्र ने सनातन संस्था को अभी तक दोषी नहीं ठहराया है । तब भी कुछ राजनीतिक पक्ष, पुरोगामी संगठन एवं तथाकथित नास्तिकवादी संगठनों द्वारा सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की अन्यायपूर्ण मांग की जा रही है । डॉ. नरेंद्र दाभोलकर तथा कॉ. गोविंद पानसरे के हत्या के विषय में पूछताछ के नाम पर पुरोगामियों की हत्याआें के प्रकरण में सनातन संस्था को इस प्रकार फंसाना अयोग्य है । न्यायालय द्वारा सनातन संस्था से संबंधित किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है, तब भी सनातन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया जा रहा है, यह सनातन पर बडा अन्याय होगा । इस प्रकरण में पुरोगामी संगठन ‘सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाओ’ ऐसा कहकर सनातन के विरुद्ध नियमबाह्य आंदोलन कर सामाजिक तनाव निर्माण कर रहे हैं । उनपर और उनके नेताआें पर तुरंत कार्यवाही भी की जाए, ऐसी मांग भी इस समय की गई ।

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